आया कैसा मंजर ऐ खुदा, कहो कैसे ईद मनाये हम।
हर आँख से अश्क छलकता, किस किस को समझायें हम।।
रहमत को
तेरी तरस रहे, सलामती
की दुआ हैं माँग रहे।
खुशियों
की क्या बात करें, मुस्कुराने को तरस गये है हम।।
आया कैसा मंजर ऐ खुदा कहो कैसे ईद मनाये हम।
हर आँख से अश्क छलकता किस किस को समझायें हम।।
ख्वाहिशों
के कारण हमसे, हो गया है शायद बहुत जुल्म।
माना
रूसवा हो गया तू, पर कर दो अपना अब रहम।।
आया कैसा मंजर ये खुदा, कहो कैसे ईद मनाये हम।
हर आँख से अश्क छलकता, किस किस को समझायें हम।
ऐ मौला
भूले बख्श दो, सबक सीख लियें है अब हम।
छोटी सी
यही गुजारिश लेकर आये इस ईद पर हम।।
आया कैसा मंजर ये खुदा कहो कैसे ईद मनाये हम।
हर आँख से अश्क छलकता किस किस को समझायें हम।
शालिनी
गर्ग
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