माँ तेरी हर बात याद आती है माँ मुझे आज। तेरी हर डाँट प्यारी लगती है माँ क्युँ आज। तेरा वो रोकना वो टोकना जो गवारा नहीं था मुझे, क्यों सही लगता है हर वो पल माँ आज। कभी पढाई के लिए तेरा टी.वी.पर रोक लगाना कभी पढाई छुडवाकर हमें ताश खिलाना। हँसी दे जाता है वो लम्हा जब याद आता है मुझे आज तेरी हर बात याद आती है माँ मुझे आज, वो सूँई में धागा पिरोकर सिलना सिखाना बुनाई, कढाई का वो उलझा सुलझा ताना बाना न जाने किन यादों में उडा ले चला है मुझे आज। तेरी हर बात याद आती है माँ मुझे आज... तेरी सास देगी ताने मुझे का वो डर दिखाना, इस बहाने घर के हमें सारे काम सिखाना, तेरे काम करने का वो हुनर मुझमें झलकता है माँ आज। तेरी हर बात याद आती है माँ मुझे आज... सुबह सुबह चाय के साथ तेरा हमें जगाना, और नरम नरम गरमागरम रोटियाँ खिलाना। क्यों वो दिन वापस नहीं आता है आज। तेरी हर बात याद आती है माँ मुझे आज... -शालिनी गर्ग'
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