सुबह की सैर के अजब दोस्त
सुबह की सैर की हुई शुरुआत,
जब मीठी नींद को मारी लात।
जोश भरा थोड़ा, फुर्ति के साथ,
नए-नए दोस्तों से हुई मुलाकात।
पहला दोस्त और जून महीना,
टप-टप-टप बहता हाय पसीना!
बिन बुलाए मेरे गले लग जाए,
चेहरा क्या, पूरा बदन नहाए।
कैसे मैं इससे पीछा छुड़ाऊँ,
“हाय पसीना!” मैं चिल्लाऊँ।
अचानक मुझे ख्याल ये आया,
दोस्ती का अब हाथ मिलाया।
कहे वो, “यार, मैं सदा था तेरा,
ए.सी. ने था, बस तुझको घेरा।
तूने आकर मुझे गले लगाया,
ले, तेरा टॉक्सिन दूर भगाया।
पसीने की दोस्ती भाने लगी,
गर्वीली मुस्कान अब आने लगी।
दूसरे दिन झाँकता दिखा रूमाल,
बोला, “प्लीज़, देख, मुझे न टाल।
सैर पर साथ मुझे भी ले चल,
मेरी दोस्ती क्या? जानेगा ये कल।
होती क्या यारी, मैं दिखाऊँगा,
हर हाल में मैं, दोस्ती निभाऊँगा।
शुरू होते ही सैर, मचाया धमाल,
आया पसीना, झट पोंछा रूमाल।
अरे रुक तो ज़रा, दोस्त है पसीना,
रुमाल कहे, न ये पक्का कमीना!
जब भी आएगा, इसे दूर भगाऊँगा,
घटिया दोस्तों से, मुक्त कराऊँगा।
साथ में उस मक्खी को भगाया,
जिसने कभी मेरे कान पर गाया।
बिन कहे दूर करता हर परेशानी,
हे रूमाल, तेरी दोस्ती मैंने जानी।
ऐसे दोस्त किस्मत वाले ही पाते,
अपनों के दुख जो दूर करते जाते।
ऐ, यार, मेरे पसीने से मत कर बैर,
वो भी मेरा दोस्त, नहीं कोई गैर।
उसकी यारी का थोड़ा अनोखा है ढंग,
भला करे मेरा ही, जब करे मुझे तंग।
तीसरे दिन दोनों, करें अपना काम,
मैं कर रही बेंच पर, थोड़ा विश्राम।
तभी बिल्ली एक, बैठी पास आकर,
चिढ़कर भागी, मैं दूजी बेंच जाकर।
जिस बेंच मैं जाती, पीछे वो आती,
म्याऊँ-म्याऊँ कह, कदम मिलाती।
मुझ थकी में, फिर जोश ले आई,
कभी नज़र मिलाए, कभी ले अंगड़ाई।
“दोस्ती करोगी?” पूछा मुस्कुराकर,
प्यार से देखा उसने, पूँछ हिलाकर।,
अकसर टकराते, कुछ ऐसे ही यार,
जबरदस्ती सही, पर हो जाता प्यार।
दूसरे कौन दोस्त, नहीं करके सवाल,
मस्ती की ऊर्जा से करते मालामाल।
चढ़ आया सूरज और मन ने पुकारा,
ऐसा दोस्त फिर न, मिलेगा दुबारा।
सूर्य नमस्कार कर श्रद्धा से मनाया,
सूर्य किरणों ने, दोस्ती का हाथ बढ़ाया।
हल्की मीठी तपन से किया मुझे दुलार,
“स्वस्थ रहना तो मिलना हमसे बारंबार।”
कुछ दोस्त जब मिलते, तो बहुत कुछ देते,
बदले में प्रेम के बस, दो बोल मीठे लेते।
ऐसे ही दिए कुदरत ने, दोस्त हज़ारों,
एक बार इनका साथ, पाओ तो यारों।
कोई कुछ सिखाए, कोई रौनक लगाए,
कोई नटखट अंदाज से मुस्कान बढ़ाए।
लाएँगे जीवन में खुशियाँ और निखार,
बस समय निकाल कर इन्हे निहार।
शालिनी गर्ग
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