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नारी का अत्याचार

महिला दिवस की जरूरत

ऐ हिन्दी, काश तू भारतीय नारी न होती

नारी के सताए कुछ बेचारे पुरूषो के लिए मेरी संवेदनाएँ

ऐ नारी कुछ तो दया कर, मत कर तू अत्याचार , बेचारे पुरूष तेरी गुलामी करकरके , हो गए हैं लाचार । ऐ नारी कुछ तो दया कर मत कर तू अत्याचार सुबह से लेकर शाम तक देखो , गधे की भाँति जुते रहे। रात को फिर बेगम संग दौडा रहे मोटर कार। ऐ नारी कुछ तो दया कर मत कर तू अत्याचार माँ बाप से तू उनको कोसो दूर   ले आई बच्चो को भी अब उनकी कोई बात नहीं भाई। बेचारे व्हाट्स ऐप कर कर के   हो रहें है बेकार ऐ नारी कुछ तो दया कर मत कर तू अत्याचार एक जमाना था कभी जब , पुरूष भी बोला करते थे , लेकिन अब हर बात से पहले इजाज़त माँगा करत हैं बिन पूछे कुछ बोल दिया तो पड जाती है फटकार ऐ नारी कुछ तो दया कर मत कर तू अत्याचार अत्याचार से पीडित ये चुपचाप किनारे बैठ जाते हैं घर के फैसले सारे मैडम करती , ये राहुल, मोदी से दिल बहलाते हैं शायद कोई मसीहा आकर करदे अब इनका उद्धार ऐ नारी कुछ तो दया कर मत कर तू अत्याचार  

एक नारी की ताले के लिए प्रार्थना

एक नारी की ताले के लिए प्रार्थना हे प्रभु मेरी तुझसे बस एक है ये प्रार्थना, कभी किसी औरत को ये दिमाग न तू सोंपना। अगर देना है तो उसमें एक ताला जरूर लगा देना, चाबी जिसकी केवल उसके पति के हाथो में थमा देना। बता देना उसे ये कि इस पर तेरा अधिकार नहीं बेटी, जब जरूरत पडे तो तुम पति से इजाजत माँग लेना । अगर ऑफिस हो जाना या बच्चो को हो पढाना, तब चाबी का इस्तमाल करने से न तुम घबराना । मेरी लाडो मेरी बेटी बस ध्यान हमेशा ये रखना, पति से बात करते वक्त ये ताला भूल मत जाना। सुखी दाम्पत्य जीवन अगर तुमको है निभाना, हमेशा इस ताले को बेटी गर्व के साथ अपनाना। -शालिनी गर्ग