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बातों के ये बताशे



 हर दिल को है प्यारे लगते,बातों के ये बताशे,

आओ हँसकर बोलेचाले, गम आयेगा कहाँ से।

बैठ अकेले मोबाइल पर, क्यूँ उँगली खिसकाओ,

घर से थोडा निकलो बाहर, खुलकर चौपाल लगाओ,

सतरंगी किस्सो के तारों, को धरती पर बुला लो

गुलगुलों की चाशनी में, उनकों थोडा पका लो।

मीठे मीठे होकर भी ये, शूगर से बैर कराते,

हर दिल को है प्यारे लगते, बाँतों के ये बताशे।

आओ हँसकर बोलेचाले, गम आयेगा कहाँ से।

मूवी रैस्ट्रा में हम जाते, घर आकर पछताते,

सेहत और पैसा दोनो को, यारो हम है गँवाते,

मस्ती वाली महफिल क्यों न, घर में चलो सजाये,

गपशप करते करते मिलकर, हम पकवान बनाये,

 झूमें नाचें गाये सारे, कर लें थोडे तमाशे।

हर दिल को है प्यारे लगते, बातों के ये बताशे,

आओ हँसकर बोलेचाले, गम आयेगा कहाँ से।

शालिनी गर्ग

 

 

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