आज के बच्चे
आज के बच्चो का भी अजब सा
मिजाज़ है,
उनकी हर साँस पर मोबाइल का
अब राज़ है।
मासूम लगते जब तक मोबाइल हैं लिये
हुए,
छीनते ही जिद्दीपन के शोर का आगाज़
है।
आज के बच्चो का भी अजब सा
मिजाज़ है,
उनकी हर साँस पर मोबाइल का
अब राज़ है।
अपने अपने कमरों में शांत ऐसे पडे
हुए ,
जैसे समझदारी का बज रहा कोई साज़ है।
आज के बच्चो का भी अजब सा
मिजाज़ है,
उनकी हर साँस पर मोबाइल का
अब राज़ है।
मम्मी पापा टीचर से क्यूँ ये कुछ
पूँछे भला,
गूगल के हर जवाब पर रहता इनको नाज़
है।
आज के बच्चो का भी अजब सा
मिजाज़ है,
उनकी हर साँस पर मोबाइल का
अब राज़ है।
पुकारने से इनको अब कुछ भी सुनता
नहीं,
कानों पर हैडफोन का पहना हुआ जो ताज़
है।
आज के बच्चो का भी अजब सा
मिजाज़ है,
उनकी हर साँस पर मोबाइल का
अब राज़ है।
काम से पहले पूछते ये करना क्यों है
ज़रूरी?
टाइम मेरा होगा खराब कहते ये चालबाज़
हैं।
आज के बच्चो का भी अजब सा
मिजाज़ है,
उनकी हर साँस पर मोबाइल का
अब राज़ है।
चाचा, मामा, बूआ, मौसी संग चंद सी बात करें?
हैलो, नमस्ते, ठीक हूँ, यही बस
अलफाज़ हैं।
आज के बच्चो का भी अजब सा
मिजाज़ है,
उनकी हर साँस पर मोबाइल का
अब राज़ है।
फिर भी भोले भाले मासूम से प्यारे
लगते बडे
मुस्कुराकर लिपटते तो लगते दिलनवाज़
हैं।
आज के बच्चो का भी अजब सा
मिजाज़ है,
उनकी हर साँस पर मोबाइल का
अब राज़ है।
इनकी एक मुस्कान, गुस्सा भुला देती
सारा
दिल को लुभाने के इनके गजब अंदाज़
है।
आज के बच्चो का भी अजब सा
मिजाज़ है,
उनकी हर साँस पर मोबाइल का
अब राज़ है।
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