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ग़ज़ल वो ज़िंदगी का पाठ पढ़ा कर चला गया,

 ग़ज़ल

रदीफ़ - कर चला गया

क़ाफ़िया - की बंदिश

बहर-221 2121   1221 212


वो ज़िंदगी का पाठ पढ़ा कर चला गया,
"
तू ख़ुद से प्यार कर" ये बता कर चला गया।1

 

ख़ुशियाँ तुझे मिलेंगी नहीं यूँ ही राह में,
मुस्कान दे किसी को सिखा कर चला गया।।2।।

 

कल होगा क्या, ये सोच के क्यों आज हम डरें?
"
जी ले अभी" ये गीत सुना कर चला गया।।3।।

 

कमियाँ निकालना सुनो, आसान काम है,
मेरी कमी मुझे वो गिना कर चला गया।।4।।

 

मासूमियत दिखा के वो छलता रहा मुझे,

 चश्मा ऐतबार हटा कर चला गया।।5।।

 

आओ पिलाए चाय पकड़ हाथ वो कहे,

   ये बोलते ही दिल को चुराकर चला गया।।6।।

 

जब झाँक लेगा ख़ुद को मिलेगा ख़ुदा तुझे

वो इल्म की शमा को जला कर चला गया ।।7।।

 

शालिनी गर्ग

 

 



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