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ऐ देश मेरे, ऐ मेरे वतन,

 


ऐ देश मेरे, ऐ मेरे वतन,

तुझको मेरा शत-शत है नमन।

तू शान मेरी, तू जान मेरी,

तेरी माटी से महका है चमन।।

ऐ देश मेरे, ऐ मेरे वतन...

फसलों से धरती खुशहाल रहे,

नदियों में अमृतजल धार बहे।

सोना चाँदी उगले कण कण,

ऐ देश मेरे ऐ मेरे वतन....

यहाँ की संस्कृति,यहाँ की भाषा,

विश्व के कल्याण की अभिलाषा।

उच्च विचारों का सादा जीवन,

ऐ देश मेरे, ऐ मेरे वतन......

रंगीले त्योहारों से सजी धरती,

रिश्तो में प्यार की मस्ती बस्ती।

मधुर गीतों से गूँजे है गगन,

ऐ देश मेरे ऐ मेरे वतन......

नए नए पकवानों से थाल सजें,

कदम कदम पर नए परिधान फबे।

सभी को लुभाता है ये रहन-सहन,

ऐ देश मेरे ऐ मेरे वतन.......

वीरों में वीर,सज्जनों में सज्जन,

महापुरुषों से है ये धरती पावन।

विश्व भी सदा करता अनुसरण,

ऐ देश मेरे ऐ मेरे वतन.......

कोना-कोना अब स्वच्छ रहे,

बच्चा-बच्चा शिक्षा ग्रहण करे।

होगा भारत स्वर्ण सा संपन्न,

ऐ देश मेरे ऐ मेरे वतन.....

शालिनी गर्ग

 

 

 

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