*जब से तुमको देखा हमने।
दिन में भी दिखते हैं
सपने।।
शायद तुम आओगे अब ही,
लग जाती हूँ मैं सँवरने।
डी पी तकती मैसिज लिखती,
डीलिट करती हूँ पल पल
में।
क्या तुमको भी ऐसा लगता,
या भ्रम है बस मेरे मन
में।
देना उत्तर मुझको जल्दी,
चैन नहीं दिल की धडकन में
।
शालिनी गर्ग
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