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Showing posts from August, 2023

गज़ल (आप जब से हमारे सनम हो गए)

  212 212 212 212 आप जब से हमारे सनम हो गए, सच बताऊँ बड़े बेरहम हो गए। देखते ही नहीं अब उठा के नज़र, क्यों बताओ न इतने सितम हो गये। पूछते थे कभी चाहिये चाँद क्या ? माँग ली एक साडी गरम हो गये। थाम कर हाथ कहते थे ओ मल्लिका,  आज बरतन हाथों के रतन हो गये। दौड आते पुकारा जो हमने कभी, क्या कदम होठ खुलने भी कम हो गये । प्रेम करती रहेगी सनम शालिनी, भूल की भी नहीं पर ज़ुलम हो गये। शालिनी गर्ग

गज़ल* तुम्हारे रास्ते में गुल बिछाता जा रहा हूँ मैं।

1222  1222  1222  1222 * तुम्हारे रास्ते में गुल बिछाता जा रहा हूं मैं मेरे दर आज आओगे बताता जा रहा हूँ मैं कभी सोचा न था ये ख्वाब पूरे यूँ हो जायेंगे हथेली देखकर खुद ही इतराता जा रहा हूँ मैं। जो लड़त े थे, झगड़त े थे बड़े नखरे दिखात े थ े, ढ़के सर पर वो आँचल हैं सताता जा रहा हूँ मै। सजाकर लाई जो सपने मुझे पूरे सभी करने इसी उम्मीद को दिल में बसाता जा रहा हूँ मै। रहेंगे दीया बाती से करेंगे बात हर पल की , यही अरमान है दिल का सुनाता जा रहा हूं मैं करो शोपिंग जब जानम लगूँगा बिल की लाइन में,  किया वादा है ये तुमसे निभाता जा रहा हूँ मैं शालिनी गर्ग

गज़ल आप क्यों अब दूर होते जा रहे हैं

2122  2122  2122   * आप क्यों अब दूर होते जा रहे हैं बिन कहे मगरूर होते जा रहे है किस  नशे में चूर होते जा रहे है मुश्किलों के दिन सहे थे साथ हमने आप क्यों अब दूर होते जा रहे हैं शोहरत में चाँद तारे लगते अपने आप भी मशहूर होते जा रहे हैं खुश रहे देती रहूँगी मैं दुआएँ, आप जिनके नूर होते जा रहे हैं “शालिनी गर्ग”  

गज़ल जब से तुमको देखा हमने।

 * जब से तुमको देखा हमने। दिन में भी दिखते हैं सपने।। शायद तुम आओगे अब ही, लग जाती हूँ मैं सँवरने। डी पी तकती मैसिज लिखती, डीलिट करती हूँ पल पल में। क्या तुमको भी ऐसा लगता, या भ्रम है बस मेरे मन में। देना उत्तर मुझको जल्दी, चैन नहीं दिल की धडकन में । शालिनी गर्ग

हिन्दी कविता घनाक्षरी छंद

 

रक्षाबंधन पर कुंडली छंद