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कहानी दस - वेदों का ज्ञान

 कहानी दस - वेदों का ज्ञान


कक्षा में बैठा राहुल सोच रहा था गीता की कहानियों के बारें में  कि वह इन कहानियों से कितना कुछ सीख रहा है । अपनी बुराइयों को पहचानना, अपनी बुद्धि से मन व इंद्रियों को कैसे नियंत्रण करें, धर्म का कितना अच्छा अर्थ समझाया दादाजी नें, हमें कब और कैसे बड़ों से समझदार से सलाह लेनी चाहिये और आत्मा कैसी विचित्र है  एक बीज से आत्मा के कारण एक इतना बडा वृक्ष बन जाता है। फिर उस वृक्ष के एक फल में इतने सारे बीज इतनी सारी आत्मा यही सब सोच विचार में डूबा था तभी अध्यापिका की आवाज सुनाई देती है

अध्यापिका: तो बच्चों, आज हम जानेंगे हमारे वेदों के बारे में। वेद हमारे सबसे प्राचीन धर्मग्रंथ हैं। ये संस्कृत में लिखे गए हैं, और वेद चार होते हैं,ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। अध्यापिका बताती जा रही थी। राहुल को ये टोपिक बहुत कठिन सा लग रहा था।राहुल ने घर आकर अपना काम पूरा किया, रात को खाना खाकर बैग लगाकर दादाजी-दादाजी पुकारता हुआ आ जाता है दादाजी के पास ।

राहुल (दादाजी के कमरे में आते हुए): दादाजी! आज आप मुझे गीता का कौन-सा ज्ञान सुनाएँगे? सुख-दुख वाली कहानी के बाद आज क्या है?

दादाजी (मुस्कराते हुए): बेटे अब अर्जुन आत्मा के बारे में तो जान जाते है। तुम भी जान गये न राहुल ?

 राहुल: हाँ दादाजी जान गया, मैं तो कल से आत्मा के बारे में ही सोच रहा था कि कहाँ-कहाँ आत्मा है। पर दादाजी वो सब मैं आप से बाद में पूछूँगा पहले आप आगे का ज्ञान बताइए और ये मैने कर दिया वीड़ियो ओन।

दादाजी: तो राहुल अब भगवान अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि वेदों में भी लिखा है कि क्षत्रिय धर्म का पहला कर्तव्य युद्ध करना है। युद्ध करते हुए जो मरता है वह मरकर स्वर्ग जाता है और जीतकर राज भोगता है तो भगवान अर्जुन से कहते हैं कि तुम वेदों की बात को ही मान लो अर्जुन और अपना क्षत्रिय धर्म अपना लो।

राहुल: दादाजी एक मिनट रुकिए, आपने "वेद" कहा ना, है ना?

दादाजी: हाँ राहुल, तुम्हे पता है वेद?

राहुल: दादाजी आप बीलिव नहीं करोगे, आज हमारी टीचर ने भी क्लास में वेदों की बात की थी।आज ही हमारी टीचर ने हमें बताए हैं ये वेद।

राहुल (सिर खुजाते हुए): दादाजी क्या आप भी आज वेद पढ़ाने वाले है।

दादाजी: हाँ राहुल अगर तुम समझना चाहते हो तो?

राहुल: ठीक है दादाजी, आप समझाएँगे तो मुझे अच्छा समझ आ जाएगा। दादाजी: मैं समझाता हूँ।

(दादाजी एक किताब खोलकर ब्रह्मा जी की तस्वीर दिखाते हैं) राहुल पहले मुझे ये बताओ, ये किसकी तस्वीर हैं?

राहुल: ये तो ब्रह्मा जी हैं... तीन चेहरों वाले।

दादाजी: सही पहचाना, लेकिन इनके चार मुख हैं, एक पीछे भी होता है। और इनके हाथ में जो किताब देख रहे हो, वो क्या है?

राहुल: वेद?

दादाजी: हाँ ये वेद हैं। ये वेद भगवान के द्वारा बताया हुआ ज्ञान है।

राहुल: जैसे गीता का ज्ञान भगवान कृष्ण ने दिया।

दादाजी: हाँ वैसे ही,कहते हैं जब सृष्टि का मतलब यूनिवर्स का निर्माण हुआ, सृष्टि का निर्माण किसने किया? 

राहुल: ब्रहमा जी ने।

दादाजी: तब भगवान ने ब्रहमा जी को वेद का ज्ञान दिया कि पृथ्वी पर इस ज्ञान की जरूरत होगी और जो इस ज्ञान को जानेगा वह ब्राहमण कहलाएगा।

दादाजी: तो अभी बता सकते हो राहुल क्या हैं वेद ?

राहुल: यही दादाजी वेद हमारे सबसे पुराने ग्रन्थ हैं। ये तब के हैं जब ये यूनीवर्स मतलब आपका ब्रहमांड बना था।

दादाजी: (हँसकर) हाँ मेरा ब्रहमांड और तेरा यूनीवर्स। और अब बताओ वेद का क्या अर्थ है?

राहुल: नहीं पता दादाजी।

दादाजी: अरे बताया तो था मैने, वेद का अर्थ है 'ज्ञान' । तो आज राहुल तुम्हारी टीचर ने वेदों के बारे में क्या बताया था?

राहुल: दादाजी वेदों में संस्कृत के मंत्र होते है और दादाजी वेद चार होते हैं ।

दादाजी:  कौन कौन से राहुल नाम बताओ।

राहुल: वो तो मैं भूल गया दादाजी।

दादाजी: कोई बात नहीं राहुल मै बताता हूँ। वेद चार होते हैं— ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।

राहुल: दादाजी वेदो में क्या लिखा है?

दादाजी: वेदो में जीवन जीने का तरीका बताया गया है। वेदो में हर तरह का ज्ञान है, भक्ति है, विज्ञान है, गणित है, चिकित्सा विज्ञान है और खगोलशास्त्र का ज्ञान है मतलब एस्ट्रोनोमी का ज्ञान भी दिया गया है। सभी कुछ वेदो में बहुत विस्तार से बताया गया है राहुल।

राहुल: दादाजी, ये चार वेद अलग अलग क्यों है?

दादाजी: राहुल पहले ये बहुत बडी और मोटी एक ही पुस्तक थी फिर बाद में इन्हे महर्षि वेद व्यास जी ने ऋषियों की सहायता से चार भागो मे बाँटा।

राहुल: दादाजी “वेद व्यास जी” जिन्होने महाभारत लिखी है?

 दादाजी: हाँ बेटा वे बहुत बडे महर्षि थे, उन्होने ही हमारे पुराण भी लिखे।

राहुल: इन चार वेदों में क्या-क्या है दादाजी?

 अच्छा अब सुनो, चारो वेदों में क्या क्या है, पहला है

ऋग्वेद: इसमें देवताओं की स्तुति और प्रार्थनाएँ हैं।

राहुल: देवता मतलब दादा जी?

दादाजी: सूर्य, चंद्रमा, अग्नि वायु, जल, इंद्र ये सभी देवता है ये भगवान के सहायक है जिनके पास अपने अपने डिपार्टमैंट की विशेष शक्तियाँ है ।बेटा ये सब हमें जीवन में कुछ न कुछ देते हैं इसलिये ये देवता कहलाते है, जो भी हमें कुछ देता है हमें उनका धन्यवाद करना चाहिये “जो देता है वो देवता”  ऐसा हमें मानना चाहिए। 

और दूसरा वेद है  

यजुर्वेद: इसमें यज्ञ और पूजा की विधियाँ बताई गई हैं।

राहुल: यज्ञ क्या होता है दादाजी?

दादाजी: देवताओं को धन्यवाद करने के लिये अग्नि जलाकर उसमें आहुति डालकर यज्ञ किया जाता है। ये ब्राहमण की सहायता से किया जाता है।

राहुल: जैसे शादी में होता है दादाजी।

दादाजी: हाँ, कुछ-कुछ वैसे ही बस हर यज्ञ के मंत्र और विधि अलग-अलग होती है। तीसरा वेद है

सामवेद: इसमें मंत्रों को संगीत के रूप में गाया जाता है। इसमें भक्ति से जुड़े मंत्र और बातें हैं। ये बहुत सुंदर तरीके से गाए जाते हैं।

राहुल: और दादाजी चौथा अथर्व वेद ना?

दादाजी: अथर्ववेद में चिकित्सा, विज्ञान, आयुर्वेद और जीवन की रक्षा से जुड़ा बहुत सारा ज्ञान है।

राहुल: वाह दादाजी! वेदों में तो सब कुछ है — भक्ति, विज्ञान, गणित, चिकित्सा...। दादाजी आपने पढे हैं वेद?

दादाजी: नहीं बेटा, हम लोगो को कोई वेद पढ़ने को नहीं कहता था। किताबे मिलनी भी कठिन होती थी, इसलिये नहीं पढ़ सके। पर बेटा भगवान जी ने गीता में वेदो का ही सार कहा है।

राहुल:  सार मतलब दादाजी

दादाजी:  मतलब समरी, गीता के बहुत कम श्लोको में इतना सारा ज्ञान समेट दिया है।

तो पहले अच्छे से गीता समझो फिर वेदो को पढ़ो अब तो नैट पर सब मिलता है। और अंग्रेजी हिंदी सब भाषा में वेद पढ़ सकते हैं।

राहुल (मुस्कराते हुए): हाँ दादाजी पर आप के जैसे समझाने वाला भी चाहिए न।

दादाजी: हाँ बेटा सही कहा तभी तो अर्जुन भगवान को अपना गुरु बनाते हैं।

राहुल: अब दादाजी मुझे वेद क्या है ये समझ आ गया।

 अब आप ये बताइये भगवान ने अर्जुन से क्या कहा ?

दादाजी:  भगवान ने कहा, “अर्जुन वेदो में कहा गया है कि बस अपना धर्म, धर्म मतलब कर्म करो ।

तुम क्षत्रिय हो, योद्धा हो तो जो तुम्हारा धर्म है, उसे निभाओ। और क्षत्रिय का धर्म है युद्ध। तुम अपना ये कर्म करो। इंद्रियों की सुनोगे तो वे तुम्हे भटकाएँगी।

राहुल: घोडो की तरह न दादाजी इंद्रियाँ घोड़े जैसी है और आत्मा सारथी जैसी।

दादाजी (हँसते हुए): वाह राहुल! अब तो तू भी अर्जुन बनता जा रहा है। तो भगवान ने कहा अर्जुन अपना क्षत्रिय धर्म निभाओ अब अपनी आत्मा की सुनो वेदो की बात मानों और युद्ध के लिए तैयार हो जाओ।

राहुल (खुश होकर): सही है दादाजी! और दादाजी मुझे वेद समझाने के लिए धन्यवाद 

अब मैं वेदों के नाम भी नहीं भूलूँगा और गीता भी अच्छे से समझूँगा।

[राहुल वीडियो बंद करता है और मुस्कराते हुए कमरे में लौट आता है]

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