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हरा श्लेष अलंकार

 




जख्म को कर दिया हरा, यादों नें कुरेद कर

वक्त ने हरा दिया हमें, अपनी हर चाल भेदकर

जब भजा हरि को ह्रदय से, हर दुख मेरा हर लिया

खुशियों का रंग हरा, जीवन में फिर भर दिया 

 

 

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