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चाय पर प्रेम कहानी

 


चाय पर प्रेम कहानी

वो हमारी पहली मुलाकात, 

मेरा तुम्हारा और चाय का साथ, 

देखा तुमने मुझे पहली बार और पूछा 

क्या पसंद है तुम्हें मैने कहा चाय,

और तुमने कहा चाय पर पहले आप।

फिर क्या, मिल गये हम चाय की तरह,

तुम जल से निर्मल, मैं दूध सी कोमल, 

और डल गई दोनो के प्रेम की मिठास,

पीते साथ साथ, सुबह हो,शाम हो, चाहे हो रात।

धीरे धीरे मुझे अदरक की चीनी वाली, 

तुम्हें इलायची की शक्कर वाली भाने लगी,

प्रेम की बातें अब बच्चों की शिकायतों पर आने लगी,

पर एक सुकून तुम्हारे और मेरे चेहरे पर होता था।

इन शिकायतो मे भी प्यार का इजहार तो होता था।

समय बीता अब तुम्हे ग्रीन टी हैल्दी लगने लगी,

पर मैं अपनी अदरक वाली स्वीटी पर ही डटी रही,

तुम्हे अब चाहिये था पानी में एक उबाल, टी बैग और हनी,

पर मेरी चाय तो सदा से रझती हुई अदरक वाली ही बनी, 

चुस्कियो का स्वाद अब अलग अलग सा होने लगा, 

तुम सिप लेने लगे मेरा घूँट तुम्हे ओल्डफैशन लगने लगा, 

तुम अखबार से मोबाइल, मोबाईल से नैटफिलिक्स पर आ गये, 

मैं कल क्या बनेगा, इस पर ही अटकी रही,और चाय पीती रही।

पर सुबह,शाम, रात का मेरा तुम्हारा चाय का साथ वही रहा,

इजहार ना सही पर तो क्या दिल मे छिपा प्यार वही रहा। 

आज अचानक से तुमने कहा सुनो मैने चाय है छोड दी 

सुन कर ये शब्द मेरे पाँवो तले की जमीं ही खिसक ली

मैने आँसू भरते हुये कहा आप चाय छोडिये,

 पर एक गुजारिश है, ये कप मत तोडिये। 

सुबह शाम रात का अपना साथ मत छोडिये।

मैं कप को देखकर ही खुश हो जाऊँगी,

आप का पहले वाला साथ तो पाऊँगी।

ना बाबा ना मैं टाइम वेस्ट नहीं करता,

तुम्हारी तरह बैठ कर वेट गेन नहीं करना। 

तुम संग चाय का कप लेकर ना बैठ पाऊँगा,

सुबह शाम जाकर  मैं जिम में हैल्थ बनाऊँगा।

चाय के कप के साथ शायद वो प्यार भी टूट गया,

सुबह शाम रात का वो साथ पल में ही छूट गया।

मैं चाय के साथ अब अपनी कलम ले कर बैठ जाती हूँ,

कविता को ही अपने दिल की बात मैं सुनाती हूँ, 

पर वही अदरक वाली चीनी वाली चाय पर ही मरती हूँ।

शालिनी गर्ग

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