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प्रेम करती हूँ मैं, जानकी की तरह,


प्रेम करती हूँ मैं
, जानकी की तरह,

पर शालिनी हूँ  जानकी, ना बन पाऊँगी

तुम जो भी कहोगे, करूँगी मैं वो,

पर गलत बात को न, मैं सह पाऊँगी

प्रेम करती हूँ.................

तुम वन को चलो ,संग मैं आ जाऊँगी,

पर कंदमूल फल ना, रोज खा पाऊँगी

प्रेम करती हूँ.............

तुम पर विश्वास किया,मैने रामजी की तरह,

पर कोई अग्नि परीक्षा, ना मैं दे पाऊँगी।

 प्रेम करती हूँ.........

 तुम धोबी की बातों में आ गए जो अगर,

 अपने घर को यूँ छोड़कर ,ना मैं जा पाऊँगी ।

 प्रेम करती हूँ................

 तुमको लव कुश दिए, मैंने जानकी की तरह,

 पिता का प्यार हमेशा, उन्हें मैं दिलवाऊँगी ।

  प्रेम करती हूँ..............

 

   

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