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गिरिराज किशोर गर्ग

२० वर्ष पुराना ये नगमा जिसका पहला अक्षर मिलाकर तुम्हारा नाम बनता है
आज शादी की वर्षगाँठ पर अचानक याद आ गया
गिला न शिकवा खुदा से कोई
रिस्ता जो मिला तेरे प्यार का
रातो को अकसर देखा था,
ब ख्वाब तेरे दीदार का।
कि
स्मत ने मुझको दे दिया आज
शौ
हर मेरा दिलदार सा,
ब से दुआ है इतनी बस
म का न अब कोई साथ मिले
हू तेरी बन के तेरे दिल मे हमेशा
लती से भी हमारा विश्येवास न हिले  ।

-शालिनी गर्ग

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