वो भी क्या ज़माना था
वो भी क्या ज़माना था जब हवाईजहाज उडाया करते थे,
पानी में नाव तैराते थे और साईकिल दौडाया करते थे।
वो भी क्या ज़माना था जब हवाईजहाज उडाया करते थे,
सपनो को बंद कर आँखों में ,चाँद से बातें करते थे।
फोल्डिंग पलंग पर तारों संग रात सजाया करते थे।
वो भी क्या ज़माना था जब हवाईजहाज उडाया करते थे,
जेबों में मूँगफली, उँगली में फ्रायमस पहना करते थे
आइसक्रीम,पोपकोर्न के लिए सडकों पर दौड़ लगाया करते थे।
वो भी क्या ज़माना था जब हवाईजहाज उडाया करते थे,
दादी के संग अंगीठी पर भुट्टे भूना करते थे,
बीज निखोला करते थे और जवे तुड़वाया करते थे ।
सिल पर चटनी और रई से मक्खन बिलोया करते थे,
वो भी क्या ज़माना था जब हवाईजहाज उडाया करते थे,
अपनी पोकेटमनी से गानो की कैसेट लाया करते थे,
दोस्तो के संग फिर कैसेट की अदला बदली करते थे,
जब कैसेट अटक जाती तो पेंसिल से घुमाया करते थे।
वो भी क्या ज़माना था जब हवाईजहाज उडाया करते थे,
गरमी में बोतल और कूलर में, पानी भरते रहते थे,
सरदी में टोपे और जैकेट पहन, बाइक पर सैर करते थे,
और रिमझिम रिमझिम बारिश होते ही पकौडे खाया करते थे।
वो भी क्या ज़माना था जब हवाईजहाज उडाया करते थे,
हफ़्तेभर टी.वी.पर मूवी ,के आने का ,इंतजार करते थे,
चित्रहार को भी तो ,पढ़ाई छोड कर देखा करते थे।
और एंटीना घूमाने के लिए छत के चक्कर लगाया करते थे।
वो भी क्या ज़माना था जब हवाईजहाज उडाया करते थे।
शादी ब्याह में दस दिन पहले से ही ,जश्न मनाया करते थे,
लड्डू, मठरी ,गुलाब जामुन चट से ,साफ कर दिया करते थे,
ढोलक और गीतों के संग सुरताल मिलाया करते थे।
वो भी क्या ज़माना था जब हवाईजहाज उडाया करते थे।
छुट्टियों में लूडो, कैरमबोर्ड, ताश,मिलकर खेला करते थे,
पर चीटिंग के बिना कभी भी खेल न पूरा करते थे,
फिर एकदूसरे को चिड़ाचिड़ा कर, रुलाया करते थे।
वो भी क्या ज़माना था जब हवाईजहाज उडाया करते थे
शायद हमसे कह रहा है अब वो बीता हुआ ज़माना।
साथ अपने रख लो बस ज़िन्दादिली का ये तराना,
इन बेज़ान चीजो के संग क्यों है अपनी यादें बनाना,
मिलकर अपनों संग बना लो फिर से गुजरा हुआ ज़माना
शालिनी गर्ग
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