वो एक छोटी सी कन्या,
आसमान को चूमती,
बारिश में झूमती,
तारों को घूरती,
हर पल चिडिया सी चहकती,
वो एक छोटी सी कन्या।
पापा की नन्ही परी,
मम्मी के लाडो लडी,
भैया बहिन की फूलझडी
घर की रौनक बडी,
वो एक छोटी सी कन्या।
लाल लहँगे मे फबी ,
सोलह श्रंगार से सजी,
कुछ खुशी कुछ गम लिए,
पल में सब से पराई हो गई ,
वो एक छोटी सी कन्या।
अपनी पहचान को भूलती,
नए रिश्तों से जुडती,
अपनी सभी आदते बदलती,
सबकी पसंद को अपनाती,
वो एक छोटी सी कन्या।
सबकी खुशी में अपनी खुशी ढूँढते,
बच्चो को संभालते, घर को सजाते,
अपने सपनो को भूलते भूलते,
कब अचानक से बूढ़ी हो गई,
वो छोटी सी कन्या।।
-शालिनी गर्ग
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