Skip to main content

Posts

Showing posts from June, 2017

कुछ पुराने नगमे 'बिन मुरली वाला'

कुछ पुराने नगमे सोलह साल की उम्र में अक्सर, हर लडकी माँगती है एक दुआ भगवान से। शायद मैने भी माँगी थी एक दुआ, अपने कॄष्णा के  गोवर्धन  गाँव में। गिरिराज की परिक्रमा लगाते हुए, पर्वत पर श्रद्धा से जल चढाते हुए। एक कामना की थी   बचपन में, एक प्यारे से वर की। जो मुझे दे सके बेइंतहा प्यार, क्यो माँगा था कब माँगा था, भूल गई थी मै बचपन की वो याद, पर शायद सुन ली  मेरी वो फरियाद। और आज मिल गया मुझे कॄष्णा का  पैगाम, दे दिया उन्होने मुझे अपना ही एक नाम । जिसे सुनकर याद आ गया मुझे मेरा, वो मासूम अनजाना बचपन का वो पल, जब मैने अनजाने में ही माँग लिया था मेरा वो साँवला सा  सैया  , बिन मुरली वाला  कन्हैया ।। -शालिनी गर्ग